हमारी संस्था का गठन हम सभी कामधेनु भाइयों की आवश्यकता को देखते हुए किया गया है। इस संस्था का उद्देश्य साथ मिलकर उन सभी मुद्दों का निराकरण करना है व सभी सदस्यों को लाभान्वित करना है। हम आशा करते हैं कि साथ मिलकर न सिर्फ़ हम शीघ्र ही अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर लेंगे अपितु और भी नई ऊचाईयों के लिये प्रयास कर सकेंगे
कार्य प्रगति पर है
कार्य प्रगति पर है
प्रिय
कामधेनु लाभार्थियों
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारी योजनाओं में बहुत समस्याएँ आ रही हैं| कई लाभार्थी अपनी योजनाएँ बन्द कर चुके हैं व बहुत बड़े आर्थिक व मानसिक नुकसान से गुजर रहे हैं और जो मुनाफे में भी हैं उन्हें अपनी मेहनत व कर्म के मुकाबले फल बहुत कम या नहीं मिल रहा है। हम लोगों ने शोध में यह पाया है कि अगर हम सभी मिलकर चलते हैं तो स्थितियां इसके बिल्कुल उलट हो सकती हैं । हमने कामधेनु डेयरी चलाने में बहुत संघर्ष किया है तथा अकेले-अकेले किया है और हम में से ज्यादातर लोग असफल हो गये| अब समय आ गया है कि हम सभी कामधेनु लाभार्थी मिल कर चलें और सफलताओं के नये आयाम कायम करें। महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात एवं अन्य कुछ राज्यों पर डेयरी सम्बन्धित शोध कर हमने पाया है कि अगर हम एक साथ चलेंगे तो सभी तरीके की दलाली जो हमारी मेहनत को खा जाती है उन्हे हम हटाने में कामयाब होंगे और निश्चित ही वह सफलता प्राप्त करेगें जो सोच कर हम सभी ने कामधेनु डेयरी ली थी और निश्चित ही आर्थिक व मानसिक शान्ति प्राप्त करेगें।
अ. गठन : साधारण सभा का गठन संस्था के सभी प्रकार के सदस्यों को मिलाकर किया जायेंगा ।
ब. बैठकें : सामान्य व विशेष
साधारण सभा की सामान्य बैठक वर्ष में एक बार व विशेष बैठकों को आवश्यकतानुसार कभी भी बुलाया जा सकता है।
स. सूचना अवधि :
साधारण सभा की सामान्य बैठकों को 15 दिन पूर्व व विशेष बैठकों की सूचना 3 दिन पूर्व देकर के बुलायी जायेंगी।
द. विशेष वार्षिक अधिवेशन की तिथि : साधारण सभा का विशेष वार्षिक अधिवेशन प्रति वर्ष सत्र की समाप्ति पर किया जायेगा, जिसकी तिथि समय व स्थान प्रबन्धसमिति तय कर ली जायेंगी।
य. साधारण सभा के कर्तव्य :
1.प्रबन्धकारिणी समिति का चुनाव करना।
2.वार्षिक आय व्यय बजट को पारित करना।
3.नियमों व विनियमों में 2/3 के बहुमत से संशोधन कार्यवाही करना।
संस्था की सदस्यता एवं सदस्यों के वर्ग - वह व्यक्ति जो संस्था के उद्देश्यों के प्रति पूर्ण विश्वास एवं आस्था रखता हो तथा बालिग हो वह संस्था का सदस्य प्रबन्धसमिति की संस्तुति से बनाया जायेगा।
आजीवन सदस्य- संस्था को पाँच हजार रुपया नकद या इससे अधिक मूल्य की अचल सम्पत्ति दान स्वरुप प्रदान करने वालो को संस्था का आजीवन सदस्य बनाया जायेगा।
विशिष्ट सदस्य- सरकार सम्मानित उपाधि प्राप्त विद्धानों, सासदों, विधायकों एवं समाज के प्रतिष्ठित नागरिकों, पत्रकारो, साहित्यकारो को संस्था का विशिष्ट सदस्य बनाया जायेगा जो स्वेच्छा से सहयोग राशि दे सकेगे।
सामान्य सदस्य- संस्था को प्रति वर्ष रुपया 500/- सदस्यता शुल्क प्रदान करने वालों को संस्था का सामान्य सदस्य बनाया जायेगा।
सदस्यता की समाप्ति -
मृत्यु होने पर, पागल होने पर, दिवालिया होने पर, किसी न्यायालय अनैतिक अपराध में दण्डित होन पर, संस्था के नियमों का पालन न करने पर, नियमानुसार सदस्यता शुल्क न अदा करने पर, संस्था के विरुद्ध प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रुप से कार्य करने पर, लगातार तीन बैठकों में बिना किसी स्पष्ट कारणों के अनुपस्थित रहने पर, त्यागपत्र स्वीकार हो जाने पर, अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने पर प्रबन्धकारिणी समिति सदस्यता समाप्त की जा सकती है।
अ. गठन : प्रबन्धकारिणी समिति का गठन संस्था के सभी सदस्यों को मिलाकर साधारण सभा की बैठक में चुनाव बहुमत से किया जायेंगा, जिसमें एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष, एक महामंत्री, एक-कोषाध्यक्ष तथा कार्यकारिणी सदस्य होगें इस प्रकार कुल व्यक्तियों की प्रबन्धकारिणी समिति होगी प्रबन्धकारिणी सदस्यों की संख्या आवश्यकतानुसार घटाई-बढ़ाई जा सकती है। प्रबन्धसमिति के पदाधिकारी ही साधारण सभा व संचालित केन्द्रो के पदाधिकारी होगें।
ब. बैठकें : सामान्य व विशेष
प्रबन्धकारिणी समिति की सामान्य बैठकें वर्ष में दो बार व विशेष बैठकों को आवश्यकतानुसार कभी भी सूचना देकर के बुलाया जायेंगा।
स. सूचना अवधि : प्रबन्धकारिणी समिति की सामान्य बैठकों की सूचना 7 दिन पूर्व व विशेष बैठकों को 24 घंटे पूर्व की सूचना देकर बुलाया जायेंगा।
द. गणपूर्ति : प्रबन्धकारिणी समिति की सभी प्रकार की बैठकों के लिए कुल सदस्य संख्या की 2/3 की उपस्थिति अत्यंत आवश्यक होगी।
य. रिक्त स्थानों की पूर्ति : प्रबन्धकारिणी समिति के रिक्त स्थानों की पूर्ति साधारण सभा की बैठक में चुनाव बहुमत से शेष कार्यकाल के लिए किया जायेगा।
र. कार्यकाल : प्रबन्धकारिणी समिति का कार्यकाल 5 वर्ष का होगा।
ल. प्रबन्धकारिणी समिति के कर्तव्य :
1.संस्था का प्रबन्धकार्य नियमानुसार सम्पादित व संचालित करना।
2.वार्षिक प्रगति रिर्पोट प्रकाशित करना तथा वार्षिक कार्यक्रमों की रुपरेखा तैयार कर उनको लागू करना।
3.संस्था के विवादों को सुलझाना।
4.उपसमितियों व उपनियमों को बनाना उनके लिए पदाधिकारियों को नियुक्त करना।
5.उद्देश्यों की पूर्ति हेतु सम्मेलनों, विचार गोष्ठियों, सेमीनारों का आयेाजन करना एवं केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार, समाज कल्याण विभाग,
मानव संशाधन विकास मंत्रालय, केन्द्रीय समाज कल्याण सलाहकार बोर्ड, केन्द्रीय एवं राज्य कल्याण मंत्रालय/विभाग, वित्तीय संस्थानों,
संस्थाओं, दान, दाताओं, व्यापारिक प्रतिष्ठानों नागरिकों से आर्थिक सहायता, अनुदान, दान, चन्दा चल/अचल सम्पत्ति आदि प्राप्त करना।
6.संस्था के विकास के लिए सभी आवश्यक कदम उठाना।
10. प्रबन्धकारिणी समिति के अधिकार एवं कर्तव्य -
अ. अध्यक्ष :
1.सभी प्रकार की बैठकों की अध्यक्षता स्वीकार करना।
2.प्रस्ताव आदि रखने की अनुमति प्रदान करना।
3.समान मत होने पर अपने एक निर्णायक मत का प्रयोग करना।
4.बैठकों आदि की तिथियों का अनुमोदन व परिवर्तन करना।
5.प्रबन्धसमिति अनुमोदति त्यागपत्रों को स्वीकार करना।
6.संस्था संचालित केन्द्रों का संचालन एवं सामाजिक कार्यक्रमों की रुपरेखा तैयार कर उसका प्रबन्धकार्य नियमानुसार सम्पादित व संचालित करना।
7.संस्था की ओर से सम्स्त बिलों एवं बाउचरों पर हस्ताक्षर करना।
8.संस्था की ओर से समस्त कानूनी कार्यवाही का संचालन करना।
9.संस्था के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के रुप में कार्य करना।
10.उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अनुदान, चन्दा, दान आदि प्राप्त करना।
11.संस्था की ओर से आवेदन पत्रों, बन्धक विलेखों आदि को भरना और उन पर हस्ताक्षर करना।
12.संस्था की ओर से समस्त भुगतान पत्रों, बैनामों आदि पर हस्ताक्षर करना।
13.संस्था की समस्त चल-अचल समपत्ति एवं अभिलेखों पर नियंत्रण रखना।
14.प्रबन्धसमिति प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करना।
ब. महामंत्री :
1.सभी प्रकार की बैठकों को संचालित करना तथा कार्यवाहियो को लिपिबद्ध करना।
2.वार्षिक बजट साधारण सभा }kjk पारित कराना तथा वार्षिक प्रगति रिर्पोट तैयार कर प्रबन्धसमिति के समक्ष प्रस्तुत करना।
3.संस्था की ओर से सभी प्रकार के पत्र व्यवहार करना।
4.प्रशिक्षकों एवं स्टाफ की नियुक्ति, निलम्बन, पदोन्नति, वेतन वितरण एवं पदच्युत करना।
5.प्रबन्धसमिति प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करना।
स. कोषाध्यक्ष :
1.वार्षिक आय व्यय का विवरण तैयार करना।
2.आय व्यय सम्बन्धी अभिलेखों को लिपिबद्ध करना।
3.सदस्यों से सदस्यता शुल्क प्राप्त कर उनको रसीदे देना।
4.प्रबन्धसमिति प्रदत्त अधिकारो का प्रयोग करना।
द. उपाध्यक्ष : अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उसके समस्त कार्यो को वरिष्ठताक्रम के अनुसार सम्पादित व संचालित करना तथा सामान्य स्थिति में उसका सहयोग करना।
नियमों
संस्था के नियमों व विनियमों में संशोधन प्रक्रिया - संस्था के नियमों व विनियमों में संशोधन, परिवर्तन, परिवर्धन साधारण सभा की बैठक में 2/3 सदस्यों के बहुमत से सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन अधिनियम की धारा 12एवं4 (क) के अनुसार किया जायेगा।
संस्था का कोष – संस्था का समस्त कोष किसी राष्ट्रियकृत बैंक/ प्राइवेट बैंक में संस्था के नाम खाता खोलकर जमा किया जायेगा तथा कोष का संचालन संस्था के अध्यक्ष, महांमत्री एवं कोषाध्यक्ष में से किन्ही दो के संयुक्त हस्ताक्षरों किया जायेगा।
संस्था का लेखापरीक्षण - संस्था के समस्त आय व्यय का लेखा परिक्षण प्रति वर्ष सत्र की समाप्ति पर संस्था नियुक्त किसी योग्य आडीटर अथवा एकाउन्टेन्ट आडिट कराया जायेगा।
संस्था अथवा उसके विरुद्ध अदालती कार्यवाही के संचालन का उत्तरदायित्व - संस्था या उसके विरुद्ध समस्त प्रकार के वाद विवाद की आदालती कार्यवाही संचालन संस्था के अध्यक्ष या उसके अधिकृत योग्य अधिवक्ता की जायेंगी तथा समस्त प्रकार की अदालती कार्यवाही का न्याय क्षेत्र जिला - कानपुर नगर ही होगा।
संस्था के अभिलेख -
1.सदस्यता रजिस्टर
2.एजेण्ड़ा रजिस्टर
3.कार्यवाही रजिस्टर
4.कैश बुक
5.लेजर
6.बाउचर फइल व अन्य समय समय पर आवश्यकतानुसार।
संस्था का विघटन - संस्था के विघटन और विघटित सम्पत्ति के निस्तारण की कार्यवाही सोसायटीज रजिस्ट्रेशन अधिनियम की धारा 13 व 14 के अन्तर्गत की जायेगी।